13/06/2018 10:55 PM
आपको अपने जीवन को शानदार बनाना है तो चाणक्य नीति पढना शुरू कर देना चाहिये. प्रसिद्ध पुस्तको में शुमार चाणक्य नीति, अर्थशात्र, अर्थनीति, कृषि, और समाजनीति आदि ग्रन्थ स्वंय चाणक्य ने लिखी हैं इनको इन ग्रंथो का जनक भी माना जाता हैं. चाणक्य राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन में महामंत्री थे और चाणक्य के चाल से ही नन्द वंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया और भारतवर्ष में चाणक्य को एक समाज का सेवक और विद्वान माना जाता हैं. इनके जन्म और मृत्यु के विषय में अभी साफ-साफ उल्लेख नहीं है फिर भी लोग इनका जन्म ईसापूर्व से 375 को मानते हैं और इनकी मृत्यु ईसापूर्व से 283 को मानते है. चाणक्य का जन्म पंजाब में हुआ था और मृत्यु पाटलिपुत्र में हुई थी. चाणक्य हिन्दू धर्म को मानते थे व इनके अनेक नाम है जैसे – चाणक्य, कौटिल्य, विष्णु गुप्त आदि. चाणक्य को राजसी ठाट मिलते हुए भी ये एक छोटी सी कुटिया में अपना जीवन – यापन करते थे.
चाणक्य जन्म और नाम
चाणक्य के विषय में इतिहास में ज्यादा प्रमाण नहीं मिलाता है., कुछ विद्वान इनके नाम के पीछे भी अपनी राय रखते है क्योंकि इनका नाम कौटिल्य भी था. कुछ लोग मानते है कुटल गोत्र होने के कारण इनका नाम कौटिल्य पड़ा. भारत में आज भी चाणक्य को चाणक्य और कौटिल्य आदि नामो से ही जाना जाता है. इस सम्बन्ध में महान विद्वान राधाकांत जी ने अपनी रचना में कहा हैं ”’ अस्तु कौटिल्य इति वा कौटिल्य इति या चनाक्यस्य गोत्र्नाम्ध्यम ”.कुछ लोग ने सीधी राय रखी है चणक का पुत्र होने के कारण इन्हे चाणक्य कहा जाता हैं.
कुछ विद्वान मानते है कि इनके पिता ने इनका नाम बचपन में विष्णु गुप्त रखा था जो बाद में चाणक्य और कौटिल्य कहलाये. कौटिल्य के संदर्भ से यह माना जाता है की इन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य की सहायता के लिये चाणक्य ने नन्द वंश का नाश कर दिया था. मौर्य वंश की स्थापना की और चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया.
महान चाणक्य के बारे में जानें
चाणक्य राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के समय उनके मंत्रीमंडल में महामंत्री थे. चाणक्य का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था इनकी शिक्षा महान शिक्षा केंद्र ” तक्षशिला ” में हुई. 14 सालो तक चाणक्य ने अध्ययन किया और 26 वर्ष की आयु में इन्होंने अर्थशात्र, समाजशात्र, और राजनीति विषयो में गहरी शिक्षा प्राप्त की. एक बार की बात है जब मगध वंश के दरबार में इनका अपमान किया गया तब से इन्होंने नन्द वंश को मिटाने की प्रतिज्ञा ली और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य के राजगद्दी में बिठाने के बाद इन्होंने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की और नन्द वंश का नाश कर दिया.
उन्होंने वहां मौर्य वंश को स्थापित कर दिया. उस समय नन्द वंशो ने गरीबो की दशा खराब कर रखी थी तब प्रजा की रक्षा की और अपना कर्तव्य का पालन किया. उन्होंने नन्द वंशो को भारत से बाहर किया और एक राजा चन्द्रगुप्त मौर्य को एक अखंड राष्ट्र बनाने में मदद की. मौर्य वंश को बनाने में चाणक्य को श्रेय जाता हैं. चाणक्य कूटनीति को अहम मानते थे. इसलिये इन्हे कुटनीति का जनक भी माना जाता है. इस लिये राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने इन्हे महामंत्री का दर्जा दिया.
हालाकि चाणक्य के जीवन के विषय में इतिहास में कम जानकारियां हैं. चाणक्य के जन्म और मृत्यु के सम्बन्ध में भारत के कुछ विद्वानों की राय अलग – अलग हैं. कुछ लोग इनका जन्म पंजाब के चणक क्षेत्र को मानते हैं. कुछ विद्वान इनका जन्म सौत भारत को मानते हैं. कुछ लोगो की राय में इनका जन्म केरल (भारत) को मानते हैं और बौद्ध धर्म के अनुयायी इनका जन्म तक्षशिला को मानते हैं.
कुछ विद्वानों की मजबूत राय भी मिली है की इनका जन्म तक्षशिला में रहा होगा. इनके पिता का नाम चणक था क्योंकि इनका जन्म एक गरीब ब्राह्मण के घर में हुआ था. इतिहास में एक बात सत्य मिलती है इनका जन्म और बचपन काफी गरीबी में बीता. चाणक्य बचपन से एक क्रोधी इन्सान थे व जिद्दी थे और इसी कारण नन्द वंश का विनाश हुआ. चाणक्य शुरू से ही साधारण रहे हैं. कहा जाता है की महामंत्री का पद और राजसी ठाट होते हुए भी इन्होंने मोह माया का फ़ायदा नहीं उठाया. चाणक्य को धन, यश, मोह का लोभ नहीं था.

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