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देश भर में 13 अप्रैल को बैसाखी पर्ब मनाया जाता है। हिंदी कैलेंडर को इस दिन हमारे सौर नव वर्ष के शुरुआती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग फसल काटते है। और घर आ जाने की ख़ुशी में भगवन और प्रकृति का धन्यवाद् करते है इस पर्व देश में अलग अलग नामो से मानते है। जैसे आसाम में बिहू, बंगाल में नबा वर्ष, केरल में पुरम बिशु के नाम से मानते है। lockdown वजह से इससे लोग इस साल अपने घर में मनाएंगे।

बैशाखी , सिख धर्म की स्थापना  और फसल पकने के उपलक्ष के रूप में मनाये जाती है। अप्रैल के महीने में रबी की फसल पाक के पूरी तरह त्यार हो जाती है। और फसक काटना भी शुरू कर देते है 13 अप्रैल 1699 के दिन सीखो के 10वें गुरु गोविन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसके साथ ही इस दिन की पर्ब के रूप में मानना शुरू किया गया था। इस दिन पंजाबी की नए साल की शुरुआत होती है। 

कैसे पड़ा नाम बैशाखी?

बैशाखी के समय में आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। बिशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैशाखी कहते है इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। इसीलिए इससे मेष संक्रांति भी कहा जाता है।

1 टिप्पणियाँ

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