By:Prashant kumar, 19/06/2018, 5:34


"कर्म ही धर्म है" इसलिए हमें कर्म करते रहना चाहिए फल अपने आप हमें मिलेगा|इस दुनिया में जातने भी लोग सफल हुए हैं सब लोग अपने कर्म के लिए हुए है।

               भगवान श्री कृष्ण


          अकर्मण्य मनुष्य श्रेस्ठ होते हूए भी पापी है।
     
   ऐतरेय ब्राह्मण

       अगर कुछ महत्व रखता है तो वह है कर्म और प्रेम।   
     सिगमंड फ्रॉयड


        अच्छी सुरुआत से आधा काम हो  जाता है।   
 अरस्तू


अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहुर्त मत पूछो।
अज्ञात


अपने काम में सुंदरता तलाशो। उससे सुंदर और कुछ हों हिं नहीं सकता।
 रूमी


अपने से हो सके,वह काम दूसरे सेन करना।
महात्मा गांधी

आप आज जो करेंगे वह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें आप अपने जीवन का एक दिन लगा रहे हैं।
अज्ञात


आपकी कड़ी मेहनत बेकार नहीं जाती है।
अज्ञात



इस संसार में कोई मनुषय स्वभावत: किसी के लिये उदार, प्रिय या दुष्ट नहीं होता।
 अपने कर्म ही मनुष्य को संसार में गौरव अथवा पतन की ओर ले जाता है।
नारायण पंडित




ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता।
-हजारी प्रसाद द्विवेदी


उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते हैं।
जान फ़्लीचर

कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण।
मदनमोहन मालवीय

सच्चे मनुष्यों के ही कर्म मधुर सुगंध देते हैं, और मिट्टी में भी खिलते है।
शरले



कर्म के बिना दूरदर्शिता एक दिवास्वप्र है। दूरदर्शिता के बिना कर्म दू:स्वप्र है।
जापानी कहावत

कर्म वह आइना है,जो हमारा स्वरुप हमें दिखा देता है। अतः हमे कर्म का अहसानमंद ।
विनोबा भाबे




कर्म सदैव सुख न ला सके परंतु कर्म के बिना सुख नहीं मिलता।
डिजरायली



कर्म ही पूजा है और कर्तब्य-पालन भक्ति है।
सत्य साईं बाबा

कर्म ही मनुष्य के जीवन को पवित्र और अहिंसक बनाता है।
विनोबा भावे


कर्मयोगी अपने लियेकुच करता ही नही। अपने लिये कुछ भी नहीं चाहता और अपना कुछ मानता भी 
नहीं। इसलिए उसमे कामनाओं का नाश सुगमता पूर्वक हो जाता है।
स्वामी विश्वास जी


कर्मशील लोग शायद ही कभी उदास रहते हो।कर्मशीलता और उदासी दोनों साथ-साथ नहीं रहती है।
बोवी

कर्मशील ब्यक्ति के लिए हवाएँ मधु बहती है,नदियो में मधु बहता है और औषधियाँ मधुमय हो जाती है।
ऋग्वेद




जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार,गुरु और परमात्मा तीनो तुमसे खुश रहें।
स्वामी ज्योतिनंद 


जीवन में सबसे ज्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं
 कि तुम नहीं कर सकते हो।आपकी बुद्धी ही आपकी गुरु है।
अज्ञात


जैसे तेल समाप्त हो जाने से दीपक बुझ जाता है, उसी प्रकार कर्म के क्षीण हो जाने पर दैव नस्ट हो जाता है। 
वेदब्यास (महा.)


जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है।
ब्राह्मण ग्रन्थ


वाणी के वजाय कार्य से दिए गए उदारहण कहीं ज्यादा प्रभवी होते हैं।
अज्ञात



जो निष्काम कर्म की राह पर चलता है,उसे उसकी परवाह कब रहती है कि किसने उसका अहित
साधन किया है।
बंकिमचंद्र


जो ब्यक्ति छोटे-छोटे कर्मो को भी ईमानदारी से करता है,वही बड़े कर्मो को भी ईमानदारी से कर
सकता है।
सैमुअल


जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है।
शरण



तुम जो भी कर्म प्रेम और सेवा की भावना से करते हो,वह तुम्हे परमात्मा की ओर ले जाता है
जीस कर्म में घीर्ण छीपी होती है,  वह परमात्मा से दूर ले जाती है।
सत्य साईं बाबा


देहि शिवा बार मोहि इहै, शुभ करमन तें कबहूँ न टरौं।जब जाइ
लारौं रन बीच मरौं, या रन में अपनी  जीत करौं।।
गुरु गोविंद सिंह


परिश्रम वह चाबी है। जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है।
 चाणक्य


प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यान्वे प्रतिशत श्रम है।
एडीसन

प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असंभव  नजर आता है।
अज्ञात

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